लेह : हेमिस उत्सव लद्दाख का एक प्रसिद्ध बौद्ध त्योहार है, जिसे हर साल हेमिस मठ में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दो दिवसीय उत्सव गुरु पद्मसंभव (गुरु रिनपोचे) की जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिन्हें तिब्बती बौद्ध धर्म का प्रवर्तक माना जाता है। इस साल 7 जुलाई से उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
क्यों मनाया जाता है हेमिस उत्सव?
यह उत्सव गुरु पद्मसंभव की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने तिब्बती क्षेत्रों और लद्दाख में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। तिब्बती पंचांग के अनुसार यह त्योहार जून या जुलाई महीने में आता है और इसका आयोजन हेमिस मठ, जो लद्दाख का सबसे बड़ा और समृद्ध मठ है, में किया जाता है।
उत्सव की मुख्य झलकियां
चाम नृत्य (Cham Dance):
यह उत्सव मुखौटा नृत्य के लिए खास तौर पर जाना जाता है, जिसे बौद्ध भिक्षु पारंपरिक वेशभूषा और रंग-बिरंगे मुखौटे पहनकर प्रस्तुत करते हैं।
यह नृत्य बौद्ध धर्म की पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक होता है।
पारंपरिक संगीत और अनुष्ठान:
नृत्य के साथ पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन, मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा-अनुष्ठान वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं।
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लद्दाख का प्रसिद्ध हेमिस उत्सव इस बार 7 जुलाई को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दो दिवसीय उत्सव लद्दाख के हेमिस मठ में हर साल गुरु पद्मसंभव (गुरु रिनपोचे) की जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाता है। यह आयोजन तिब्बती बौद्ध धर्म के… pic.twitter.com/F05WhFdVtd— द भारत खबर (@thebharatkhabar) June 28, 2025
श्रद्धालु आशीर्वाद लेने के लिए देश-विदेश से इस उत्सव में शामिल होते हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
हेमिस उत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह लद्दाख की सांस्कृतिक विरासत और तिब्बती बौद्ध धर्म की जीवंत परंपराओं को भी दर्शाता है। यह उत्सव हर साल हजारों पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो इस विशेष अवसर पर मठ की दिव्यता और संस्कृति का अनुभव करने आते हैं।
एक नजर में हेमिस उत्सव:
आयोजन स्थल: हेमिस मठ, लद्दाख
अवसर: गुरु पद्मसंभव की जयंती
समय: हर साल जून या जुलाई (तिब्बती पंचांग के अनुसार), इस साल 7 जुलाई, 2025 को फेस्टिवल का आयोजन
मुख्य आकर्षण: चाम नृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्र, भक्ति अनुष्ठान
हेमिस उत्सव तिब्बती बौद्ध परंपरा की गहराई, लद्दाखी संस्कृति की विविधता और आध्यात्मिकता की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है। हर साल यह उत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा बल्कि पर्यटक आकर्षण का भी केंद्र बना रहता है।