Cloud Seeding: राजधानी दिल्ली में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, जिससे आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने पहली बार क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) का प्रयोग किया है। यह प्रयोग आज किया गया और अब बारिश का इंतजार है।
क्लाउड सीडिंग का विवरण
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि आज क्लाउड सीडिंग का पहला ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया। इसके लिए सेसना प्लेन का इस्तेमाल किया गया, जो कानपुर से उड़ान भरकर मेरठ, खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और अन्य इलाकों में क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए पहुंचा। इस प्रक्रिया में 8 फ्लेयर का उपयोग किया गया और लगभग आधे घंटे तक यह प्रक्रिया चली।
सिरसा ने कहा कि दूसरी और तीसरी ट्रायल भी आज ही होंगी और इस प्रक्रिया के बाद 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश होने की संभावना है। आगामी कई दिनों तक यह प्रयोग छोटे ट्रायल के रूप में चलता रहेगा।
कानपुर से हुई उड़ान
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए एयरक्राफ्ट कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरा। एयरक्राफ्ट के माध्यम से पायरो तकनीक का इस्तेमाल करके बादलों में केमिकल छोड़े गए, जिससे बारिश के लिए पानी की बूंदें बनें। यह प्रयोग दिल्ली में पहली बार किया जा रहा है और वायु प्रदूषण में कमी की उम्मीद जताई जा रही है।
मौसम विभाग का अनुमान
मौसम विभाग ने पहले ही 28, 29 और 30 अक्टूबर को बादल छाए रहने की संभावना जताई थी। इसी वजह से आज क्लाउड सीडिंग का फैसला लिया गया। इस पहल में आईआईटी कानपुर की देखरेख में दिल्ली सरकार ने शहर के विभिन्न इलाकों में परीक्षण किया।
क्लाउड सीडिंग कैसे होती है?
क्लाउड सीडिंग का मतलब है कृत्रिम बारिश कराना। इसके लिए एयरक्राफ्ट के जरिए बादलों में विशेष केमिकल छोड़े जाते हैं। ये केमिकल पानी की बूंदें बनाने में मदद करते हैं, जिससे बारिश होती है। दिल्ली में इस प्रयोग के लिए कुल 3.21 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो राजधानी के नागरिकों को प्रदूषण से राहत मिल सकती है।
दिल्लीवासियों की उम्मीदें
दिल्ली में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है और लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। क्लाउड सीडिंग के सफल होने की स्थिति में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो राजधानी में वायु प्रदूषण कम करने में मदद कर सकता है। दिल्ली में पहली बार किए गए इस क्लाउड सीडिंग प्रयोग से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कृत्रिम बारिश के जरिए प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकेगा। हालांकि, इसके परिणाम और सफलता का आकलन अगले ट्रायल्स के बाद ही किया जा सकेगा।
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