अमृतसर : पंजाब के अमृतसर के मजीठा क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से हुई मौत का आंकड़ा बढ़कर 23 तक पहुंच गया है। यह हादसा 12 मई को शुरू हुआ, जब पांच गांवों में लोगों ने मिथेनॉल मिली शराब पी। 10 लोग अस्पताल में हैं। पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया और 600 लीटर मिथेनॉल जब्त किया। दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सख्त कार्रवाई का वादा किया। विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। जांच जारी है।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री भगवंत मान: मुख्यमंत्री ने दोषियों को सख्त सजा देने का वादा किया है और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “इन हत्यारों को बख्शा नहीं जाएगा।”
- विपक्ष का हमला: शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इसे “राज्य प्रायोजित आपदा” करार दिया और AAP विधायकों पर अवैध शराब के व्यापार में शामिल होने का आरोप लगाया। बिकरम सिंह मजीठिया ने सरकार पर मौतों की संख्या छिपाने और पोस्टमॉर्टम न कराने का आरोप लगाया।
- केंद्र से अपील: पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर मिथेनॉल को उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत नियंत्रित करने की मांग की है।
पंजाब में जहरीली शराब का इतिहास:
2020 से अब तक पंजाब में जहरीली शराब से 176 मौतें हो चुकी हैं। 2020 में तरन तारन, अमृतसर, और बटाला में 135 लोग मरे थे। मिथेनॉल सस्ता और आसानी से उपलब्ध है, जिसे बूटलेगर्स शराब में मिलाते हैं। इसके नियमन की कमी इसकी मुख्य वजह है। गरीब मजदूर सस्ती शराब खरीदते हैं, क्योंकि वैध शराब महंगी है। बूटलेगर्स इस मांग का फायदा उठाते हैं। बूटलेगर्स, पुलिस, और स्थानीय नेताओं का गठजोड़ इस व्यापार को बढ़ावा देता है।