न्यूज डेस्क : आकाश मिसाइल सिस्टम भारत का एक स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम (Surface-to-Air Missile System) है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है। यह भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित है। भारतीय सेना और वायुसेना में 2014-15 से तैनात यह सिस्टम हवाई खतरों से देश की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाता है। आकाश सिस्टम भारत की बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो S-400 जैसे लंबी दूरी के सिस्टम और MANPADS जैसे छोटी दूरी के सिस्टम के बीच मध्यम रेंज की सुरक्षा प्रदान करता है।
तकनीकी विशेषताएँ और संरचना
आकाश मिसाइल सिस्टम की कुछ मुख्य तकनीकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
रेंज और ऊँचाई: यह मिसाइल 25-45 किलोमीटर की दूरी तक और 18-20 किलोमीटर की ऊँचाई तक लक्ष्य को भेद सकती है। इसकी गति मच 2.5 (लगभग 3000 किमी/घंटा) है।
लक्ष्य: यह फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, हेलिकॉप्टर और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।
संरचना: एक आकाश बैटरी में चार लॉन्चर (प्रत्येक में तीन मिसाइलें), एक राजेंद्र 3D रडार, और एक कमांड सेंटर शामिल होता है। यह सिस्टम एक साथ 64 लक्ष्यों को ट्रैक और 12 को नष्ट कर सकता है।
सटीकता: एक मिसाइल से 88% और दो मिसाइलों से 98.5% किल प्रोबेबिलिटी है।
मोबिलिटी: यह पूरी तरह मोबाइल है और इसे ट्रैक वाहनों (जैसे T-72 टैंक) या पहिए वाले वाहनों पर तैनात किया जा सकता है। इसे रेल, सड़क, या हवाई मार्ग से ले जाया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ECCM): यह दुश्मन के जैमिंग को रोकने में सक्षम है, जो इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में प्रभावी बनाता है।
वजन और डिज़ाइन: मिसाइल का वजन 720 किलो, लंबाई 5.8 मीटर, और व्यास 35 सेमी है। इसमें 60 किलो का हाई-एक्सप्लोसिव, प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड होता है, जो प्रॉक्सिमिटी फ्यूज से सक्रिय होता है।
गाइडेंस सिस्टम: यह कमांड गाइडेंस और रडार होमिंग का इस्तेमाल करता है, जिसमें राजेंद्र रडार 150 किमी दूर से लक्ष्य को ट्रैक करना शुरू कर देता है।
आकाश के वेरिएंट्स
आकाश सिस्टम के कई वेरिएंट्स हैं, जो समय के साथ बेहतर तकनीक के साथ अपग्रेड किए गए हैं:
आकाश Mk-1: मूल संस्करण, 25-30 किमी की रेंज के साथ, 2014-15 में सेना में शामिल हुआ।
आकाश-1S: इसमें स्वदेशी सीकर जोड़ा गया, जो छोटे और तेज़ लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
आकाश प्राइम: ठंडे और ऊँचे इलाकों में बेहतर प्रदर्शन के लिए डिज़ाइन किया गया, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर के साथ।
आकाश-NG (नेक्स्ट जेनरेशन): नई पीढ़ी का संस्करण, 70-80 किमी की रेंज के साथ। इसका सफल परीक्षण 2024 में हुआ, और 2025 तक यह उपयोगकर्ता परीक्षण के लिए तैयार है।
रणनीतिक महत्व
आकाश मिसाइल सिस्टम भारत की वायु रक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। यह मध्यम दूरी के खतरों को रोकने में सक्षम है और S-400 (लंबी दूरी) और MANPADS (छोटी दूरी) सिस्टम्स के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हाल ही में मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई। DRDO के वैज्ञानिक डॉ. प्रह्लाद रमाराव ने इसकी तारीफ करते हुए कहा कि आकाश ने भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है।
यह सिस्टम न केवल सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक संपत्तियों जैसे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, और पावर प्लांट्स को भी हवाई हमलों से बचाता है। इसकी मोबिलिटी और स्वचालित संचालन इसे किसी भी परिस्थिति में तुरंत तैनात करने में सक्षम बनाता है।
आर्थिक प्रभाव और आत्मनिर्भरता
आकाश सिस्टम 96% स्वदेशी है, जो भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल का एक बड़ा उदाहरण है। 2018 की रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सिस्टम ने भारत को आयात पर निर्भरता कम करने में मदद की और 34,500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की। इसकी कुल लागत 28,800 करोड़ रुपये है, जो इसे रूस के S-300 या अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम की तुलना में किफायती बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय रुचि और निर्यात
आकाश मिसाइल सिस्टम की विश्वसनीयता और किफायती लागत ने इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लोकप्रिय बनाया है। 2022 में भारत ने आर्मेनिया को 6,000 करोड़ रुपये के सौदे में आकाश सिस्टम निर्यात किया। इसके अलावा, ब्राजील, फिलीपींस, वियतनाम, और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों ने इस सिस्टम में रुचि दिखाई है। मई 2025 में रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, भारत आकाश-NG को और देशों को निर्यात करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत की रक्षा निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
भारत की अभेद्य ढाल
आकाश मिसाइल सिस्टम भारत की रक्षा तकनीक और आत्मनिर्भरता का एक शानदार उदाहरण है। इसकी सटीकता, बहुमुखी प्रतिभा, और मोबिलिटी इसे भारतीय सेना के लिए एक शक्तिशाली हथियार बनाती है। यह न केवल भारत की हवाई सीमाओं और महत्वपूर्ण संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित करता है। जैसे-जैसे आकाश-NG जैसे उन्नत वेरिएंट्स सेना में शामिल होंगे, यह सिस्टम भारत की वायु रक्षा को और मजबूत करेगा।