दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली के खिड़की गांव में 7 जून को अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के 860वें जन्मोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस अवसर पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक ट्रस्ट (रजि.), क्षत्रिय विकास मंच (रजि.) और क्षत्रिय विचार मंच (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य समारोह की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
आयोजन स्थल पर सुबह 9 बजे माल्यार्पण से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। इसके बाद 11 बजे सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन परिचय पर चर्चा की जाएगी। दोपहर 1 बजे सभी उपस्थितजनों के लिए प्रसाद और भंडारे की व्यवस्था रहेगी। समारोह का समापन सायं 4 बजे आभार और धन्यवाद ज्ञापन के साथ होगा।
कौन थे पृथ्वीराज चौहान?
इतिहास के पन्नों में पृथ्वीराज चौहान का नाम साहस, शौर्य और पराक्रम के प्रतीक के रूप में दर्ज है। 1165 में जन्मे पृथ्वीराज चौहान को ‘अंतिम हिंदू सम्राट’ कहा जाता है। उन्होंने 1191 की तराइन की पहली लड़ाई में मोहम्मद गोरी को पराजित कर पूरे भारत में अपनी वीरता का परचम लहराया। हालांकि, 1192 की दूसरी तराइन की लड़ाई में उन्हें छलपूर्वक पराजित किया गया।
पृथ्वीराज चौहान के जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि अपनी भूमि और संस्कृति की रक्षा के लिए हमें हर परिस्थिति में खड़े रहना चाहिए। यही कारण है कि खिड़की गांव सहित पूरे देश में आज भी उनके जन्मोत्सव को बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है।
गांववासियों का उत्साह चरम पर
आयोजन समिति ने सभी क्षेत्रवासियों को सपरिवार आमंत्रित किया है। गांव के एक बुजुर्ग दिनेश चौहान ने कहा कि, “यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को हमारे गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का प्रयास भी है।”
वहीं एक अन्य ग्रामीण अमन चौहान ने कहा कि “पृथ्वीराज चौहान का नाम हमारे लिए गर्व की बात है। हम सब मिलकर कार्यक्रम स्थल की साफ-सफाई कर रहे हैं और पूरे गांव को सजाया जा रहा है। इस बार का आयोजन पहले से भी ज्यादा भव्य होगा।”
गांव के युवा भी कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साहित हैं। हरिंदर चौहान कहते हैं कि “हमारे लिए यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का जरिया है। हम हर साल इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं और नई पीढ़ी को भी इसमें जोड़ने की कोशिश करते हैं।”
गांव की महिला संगठन की सदस्य नीलम चौहान ने कहा कि, “महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी होती है इस आयोजन में। हम माल्यार्पण और भंडारे की तैयारी में जुटी हैं। ये हमारे गांव का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन होता है।”
जानकारी के मुताबिक इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, इतिहास प्रेमी और गणमान्य व्यक्ति शामिल होने वाले हैं। कार्यक्रम के जरिए न सिर्फ वीर सम्राट को श्रद्धांजलि दी जाएगी, बल्कि गांव की एकता और संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी।