दिल्ली : भारत सरकार के फैसले लेने की प्रक्रिया में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) और कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) का खास महत्व है। ये दोनों कमेटियां देश की सुरक्षा, राजनीतिक और आर्थिक नीतियों से जुड़े अहम फैसले लेती हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इन कमेटियों की बैठकों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी का ध्यान आकर्षित किया है। आइए, जानते हैं कि ये कमेटियां क्या हैं और इनका काम क्या है ?
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS): राष्ट्रीय सुरक्षा का शीर्ष मंच
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) भारत सरकार की सबसे अहम समिति है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित फैसले लेती है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री शामिल होते हैं। वर्तमान में CCS के सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस. जयशंकर शामिल हैं।
CCS का मुख्य काम राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खतरों की समीक्षा करना, सैन्य और रणनीतिक नीतियों को मंजूरी देना, और इमरजेंसी परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेना है। उदाहरण के लिए, 2019 के पुलवामा हमले के बाद CCS ने बालाकोट हवाई हमले को मंजूरी दी थी। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद CCS ने 23 अप्रैल और 30 अप्रैल को बैठकें कीं, जिसमें जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की गई और पाकिस्तान के खिलाफ गैर-सैन्य उपायों जैसे इंडस जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा बंद करने का फैसला लिया गया।
CCS की बैठकें गोपनीय होती हैं, और इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), तीनों सेना प्रमुख, और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख भी हिस्सा ले सकते हैं। पहलगाम हमले के बाद CCS ने सशस्त्र बलों को “पूर्ण ऑपरेशनल स्वतंत्रता” देने का निर्देश दिया, जिससे सैन्य जवाब की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA): ‘सुपर कैबिनेट’ की भूमिका
कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA), जिसे अक्सर ‘सुपर कैबिनेट’ कहा जाता है, राजनीतिक और आर्थिक मामलों पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति है। इसकी अध्यक्षता भी प्रधानमंत्री करते हैं, और इसमें रक्षा, गृह, वित्त, सड़क परिवहन, वाणिज्य, स्वास्थ्य, और अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। वर्तमान में CCPA में राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, जेपी नड्डा, और अन्य शामिल हैं।
CCPA का कार्य राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों, केंद्र-राज्य संबंधों, और विदेश नीति से जुड़े उन मामलों पर निर्णय लेना है, जो देश की राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। यह समिति तब बुलाई जाती है, जब बड़े राजनीतिक या रणनीतिक फैसले लेने की जरूरत हो। उदाहरण के लिए, 2019 के पुलवामा हमले के बाद CCPA ने पाकिस्तान का ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ दर्जा रद्द करने का फैसला लिया था।
30 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद CCPA की बैठक हुई, जो 2019 के बाद पहली ऐसी बैठक थी। इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी रणनीतियों और संसद के विशेष सत्र की मांग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। CCPA की बैठकें कम बार होती हैं, लेकिन इनका प्रभाव गहरा होता है, क्योंकि यह केंद्र-राज्य सहमति और राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
दोनों कमेटियों का महत्व और अंतर
CCS राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य रणनीतियों पर केंद्रित है, जबकि CCPA राजनीतिक और आर्थिक नीतियों पर ध्यान देती है।
CCS की बैठकें नियमित रूप से सुरक्षा मामलों पर होती हैं, लेकिन CCPA की बैठकें विशेष परिस्थितियों में बुलाई जाती हैं।
दोनों ही कमेटियां प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती हैं और सरकार की नीतिगत दिशा तय करने में महत्वपूर्ण हैं।
पहलगाम हमले के बाद दोनों कमेटियों की ताबड़तोड़ बैठकें भारत-पाकिस्तान तनाव और देश की जवाबी रणनीति को रेखांकित करती हैं।
वर्तमान संदर्भ में बैठकें
पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए, के बाद CCS और CCPA की बैठकों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक रणनीति पर सरकार के सक्रिय रुख को दर्शाया है। CCS ने हमले के सीमा पार संबंधों की जांच की और सैन्य विकल्पों पर विचार किया, जबकि CCPA ने राजनीतिक और कूटनीतिक जवाब तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया।
30 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CCS, CCPA, कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA), और पूर्ण मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता की। इन बैठकों के बाद दोपहर 3 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े फैसलों की घोषणा की उम्मीद थी। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया और सैन्य बलों को जवाबी कार्रवाई के लिए स्वतंत्रता दी।
निष्कर्ष
CCS और CCPA भारत सरकार की नीति-निर्माण प्रक्रिया की रीढ़ हैं। जहां CCS देश की सुरक्षा और रक्षा को मजबूत करने पर केंद्रित है, वहीं CCPA राजनीतिक स्थिरता और रणनीतिक सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाती है। पहलगाम हमले के बाद इन कमेटियों की त्वरित और लगातार बैठकें सरकार की संकट से निपटने की गंभीरता को दर्शाती हैं। जैसे-जैसे भारत अपनी अगली कार्रवाई की योजना बना रहा है, इन बैठकों के फैसले देश की सुरक्षा और कूटनीतिक दिशा को निर्धारित करेंगे।