दिल्ली: खिड़की गांव के 350 से ज़्यादा बच्चों का भविष्य सालों से अधर में लटका हुआ है और दिल्ली हाई कोर्ट ने अब इस पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की लापरवाही पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “यह मामला बच्चों की शिक्षा का है, लेकिन आप लोग इसे फुटबॉल समझकर एक-दूसरे पर लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं”. कोर्ट ने दोनों विभागों को सख्त चेतावनी दी कि यदि 14 दिनों के भीतर स्कूल के पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी गई तो उनके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी.दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और नगर निगम (MCD) की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि एक साल पहले पारित आदेश के बावजूद दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में एक निगम स्कूल के पुनर्निर्माण में कोई प्रगति नहीं हुई है।
न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दोनों एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा, “यह हैरान करने वाली बात है कि कोर्ट का आदेश पारित हुए एक साल हो गया और अब तक उसका पालन नहीं हुआ।”
दरअसल, यह स्कूल वर्ष 2012 में तोड़ा गया था और MCD द्वारा पुनर्निर्मित किया जाना था, लेकिन यह क्षेत्र एक स्मारक की प्रतिबंधित सीमा में आता है। ASI ने इस पर आपत्ति जताई क्योंकि प्रस्तावित भवन यूसुफ क़त्ताल की कब्र, खिड़की गांव से सटा हुआ है।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, “हमें समझ नहीं आता कि कैसे दोनों एजेंसियां अदालत की अवमानना का जोखिम उठा रही हैं। आदेश में छह हफ्तों में अनुपालन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक साल बाद भी कुछ नहीं हुआ। यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है।”
याचिकाकर्ता द्वारा जब यह बताया गया कि मई 2024 के आदेश के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई, तो कोर्ट ने टिप्पणी की: “दोनों प्राधिकरण गंभीर नहीं दिखते…”
ASI ने कहा कि उसने MCD से कुछ दस्तावेज़ मांगे थे, जो अब तक नहीं मिले। वहीं, MCD ने ASI पर 350 छात्रों की जरूरतों को नजरअंदाज़ करने का आरोप लगाया।
कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों — ASI के अनिल कुमार तिवारी और राहुल मौर्य तथा MCD की शिक्षा शाखा की अनिता नौटियाल — को चिन्हित करते हुए चेताया कि अगर कोई चूक या लापरवाही हुई तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दोनों एजेंसियों के बीच मुद्दों को एक संयुक्त बैठक में सुलझाया जाए और बैठक के दो सप्ताह के भीतर आवश्यक अनुमति दी जाए।
गौरतलब है कि स्कूल के ध्वस्तीकरण के बाद 350 से अधिक छात्रों को 2 किलोमीटर दूर सवित्री नगर स्थित एक अन्य स्कूल में स्थानांतरित किया गया था। 6 अप्रैल 2013 को पुनर्निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था, लेकिन ASI ने परियोजना रोक दी।