साढ़े चार साल तक बिना शर्त समर्थन देकर प्रदेश की भाजपा सरकार और लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर विपक्ष की उम्मीदों को सहारा देने वाले निर्दलीय विधायक विधानसभा चुनाव में बेसहारा हो गए हैं।
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