दिल्ली ब्यूरो : भारत की नौकरशाही में जहां स्थिरता, सत्ता से नज़दीकी और समझौते अक्सर तरक्की की सीढ़ी माने जाते हैं, वहीं एक अफसर ऐसा भी था जिसने 34 साल तक सिस्टम से लड़ते हुए भी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ा — नाम है IAS अशोक खेमका।
1991 बैच के हरियाणा कैडर के अधिकारी अशोक खेमका को आज बतौर अतिरिक्त मुख्य सचिव (परिवहन विभाग) रिटायर किया जा रहा है। लेकिन ये रिटायरमेंट सिर्फ एक पद से है, उनके विचार और ईमानदारी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले दिन थे।
57 तबादले — औसतन हर 6 महीने में एक नई पोस्टिंग, फिर भी कभी शिकायत नहीं, सिर्फ सच्चाई की राह पर डटे रहे।
IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में B.Tech, TIFR से PhD, MBA और फिर सेवा के दौरान LLB भी — विद्या, समझ और विवेक का अद्भुत मेल। उन्होंने 2023 में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्वयं को विजिलेंस विभाग का नेतृत्व देने की पेशकश की, ताकि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सके।
उन्होंने लिखा:
“अगर मौका मिला, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ असली युद्ध छेड़ूंगा, चाहे कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो।”
कभी उन्होंने खुद ट्वीट किया था:
“सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं। कोई पछतावा नहीं। नई ऊर्जा के साथ डटा रहूंगा।”
आज जब रिटायर हो रहे हैं, तो यह महज़ एक अफसर का रिटायरमेंट नहीं, बल्कि एक पूरे युग की कहानी का समापन है — एक ऐसी कहानी, जो बताती है कि
सच्चाई के रास्ते पर चलना मुश्किल ज़रूर है, लेकिन मुमकिन है। पद नहीं, पथ मायने रखता है। और सबसे जरूरी — देश को ऐसे ईमानदार अधिकारियों की हमेशा ज़रूरत रहेगी।