कौशांबी : उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के एक छोटे से गांव घासीराम का पुरवा में एक साधारण मजदूर मंगल सरोज ने वह कर दिखाया, जो लाखों लोग सपने में देखते हैं। ड्रीम11 पर सिर्फ 39 रुपये की छोटी सी राशि लगाकर मंगल ने 4 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक जीत हासिल की, और रातोंरात करोड़पति बन गया। इस जीत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव को खुशी से झूमने पर मजबूर कर दिया। लेकिन इस चमकती कहानी के पीछे मेहनत, हार, और एक न टूटने वाली उम्मीद की कहानी है। आखिर कैसे एक मजदूर का बेटा बना देश की सुर्खियां? यह कहानी हर उस शख्स को प्रेरित करेगी, जो सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है।
कच्चे मकान से करोड़पति की उड़ान
मंगल सरोज, सरायअकिल थाना क्षेत्र के घासीराम का पुरवा गांव के रहने वाले, एक साधारण किसान सुखलाल सरोज के बेटे हैं। उनके पिता दूसरों की जमीन पर अधिया खेती करके आठ सदस्यों वाले परिवार का पेट पालते हैं। मंगल खुद हापुड़ की एक प्लाईवुड फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं, जहां दिन-रात की मेहनत से वे अपने परिवार की मदद करते थे। कच्चे मकान में रहने वाला यह परिवार कभी सुर्खियों में नहीं था, लेकिन 29 अप्रैल 2025 को मंगल ने ड्रीम11 पर एक ऐसा दांव खेला, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।
मंगल ने बताया, “मार्च से मैं ड्रीम11 पर 49 रुपये लगाकर गेम खेल रहा था। हर बार हारता था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 29 अप्रैल को मेरे खाते में सिर्फ 39 रुपये थे। पंजाब और चेन्नई के बीच IPL मैच था। मैंने आखिरी बार कोशिश की, और अगली सुबह रिजल्ट देखा तो मैं 4 करोड़ का विजेता था!” इस जीत के बाद मंगल को 30% टैक्स कटौती के बाद 2.8 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं है।
गांव में जश्न, सोशल मीडिया पर तहलका
मंगल की जीत की खबर जैसे ही घासीराम का पुरवा पहुंची, गांव में जश्न का माहौल छा गया। लोग उनके कच्चे मकान पर बधाई देने पहुंचे, और बच्चे-बूढ़े मंगल को अपना हीरो मानने लगे। सोशल मीडिया पर मंगल की कहानी आग की तरह फैली। इंस्टाग्राम और X पर उनकी तस्वीरें और वीडियोज वायरल हो गए, जहां लोग उनकी मेहनत और किस्मत की तारीफ कर रहे हैं। एक X पोस्ट में लिखा, “मंगल सरोज ने 39 रुपये से 4 करोड़ जीतकर बता दिया—‘सरकारी नौकरी मिले न मिले, टीम सही होनी चाहिए!’”
हालांकि, कुछ लोग इस जीत के पीछे ड्रीम11 की सट्टेबाजी की सच्चाई को भी उठा रहे हैं। एक X यूजर ने लिखा, “मंगल की कहानी हर कोई जानता है, लेकिन मेरे गांव का एक लड़का 2 लाख हार गया, उसकी कहानी कोई नहीं जानता। इस सट्टेबाजी में युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है।” यह बहस छिड़ गई है कि क्या ड्रीम11 जैसे प्लेटफॉर्म्स वाकई अवसर हैं या जुआ का नया चेहरा?
मेहनत, हार, और 78वां दांव
मंगल की कहानी सिर्फ किस्मत की नहीं, बल्कि धैर्य और जुनून की है। उन्होंने मार्च 2025 से ड्रीम11 पर गेम खेलना शुरू किया था। 77 बार हारने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी। 78वें प्रयास में, 29 अप्रैल को, उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स और पंजाब किंग्स के बीच IPL मैच में 39 रुपये की टीम बनाई। उनकी रणनीति और खिलाड़ियों का चयन इतना सटीक था कि वे रातोंरात 4 करोड़ के मालिक बन गए। मंगल ने कहा, “मैं क्रिकेट का शौकीन हूं। खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखकर टीम बनाता था। यह जीत मेरे लिए सपने जैसी है।”
भविष्य की योजनाएं: बिजनेस और परिवार का सहारा
मंगल ने अपनी जीत को लेकर साफ रुख रखा है। वे इस राशि को किसी स्थिर बिजनेस में लगाना चाहते हैं, ताकि परिवार का भविष्य सुरक्षित हो। “मेरे पिता ने हमेशा मेहनत की। अब मैं चाहता हूं कि वे आराम करें। इस पैसे से मैं एक अच्छा बिजनेस शुरू करूंगा और गांव में एक पक्का मकान बनवाऊंगा,” मंगल ने भावुक होकर कहा। कौशांबी के जिलाधिकारी ने भी मंगल को बधाई दी और उनकी उपलब्धि को जिले के युवाओं के लिए प्रेरणादायक बताया।
ड्रीम11 का बढ़ता क्रेज: वरदान या अभिशाप?
मंगल की जीत ड्रीम11 के बढ़ते क्रेज को दर्शाती है। हाल ही में हरियाणा में एक ग्राम प्रधान और एक चौकीदार ने भी 49 रुपये में करोड़ों जीते, जिसने इस प्लेटफॉर्म को और चर्चा में ला दिया। Quora पर एक पोस्ट के अनुसार, 2023 तक ड्रीम11 ने भारत में 100 से ज्यादा लोगों को करोड़पति बनाया है। लेकिन इसके साथ ही, लाखों लोग हारकर अपनी जमा-पूंजी गंवा रहे हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ड्रीम11 जैसे फैंटेसी गेम्स में जीत की संभावना बेहद कम है, और यह जुए का एक रूप हो सकता है।
एक प्रेरणा, लेकिन सावधानी जरूरी
मंगल सरोज की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में बड़े सपने देखता है। 39 रुपये से 4 करोड़ तक का उनका सफर मेहनत, धैर्य, और किस्मत का अनोखा संगम है। लेकिन उनकी जीत के साथ यह सवाल भी उठता है कि क्या ड्रीम11 जैसे प्लेटफॉर्म्स युवाओं को सपने दिखा रहे हैं या उनके भविष्य को जोखिम में डाल रहे हैं? मंगल की जीत ने घासीराम का पुरवा को सुर्खियों में ला दिया, लेकिन अब यह समाज और सरकार की जिम्मेदारी है कि युवाओं को सही दिशा दिखाई जाए। क्या मंगल की तरह और लोग अपने सपनों को सच कर पाएंगे, या यह सिर्फ एक चमकती कहानी बनकर रह जाएगी?