पुणे : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पुणे विश्वविद्यालय में “भविष्य के युद्ध और युद्धकला” विषय पर छात्रों और सैन्य विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए भारत के रणनीतिक कौशल का उल्लेखनीय उदाहरण “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से पेश किया। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन भारतीय सैन्य इतिहास में एक ऐसा क्षण था, जहां 48 घंटे की योजना बनाई गई लड़ाई को केवल 8 घंटे में ही सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ भारत की सैन्य तैयारियों की मिसाल है, बल्कि यह बताता है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों और हमलों तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसमें राजनीति, कूटनीति और मनोवैज्ञानिक दबाव भी अहम भूमिका निभाते हैं।
“जैसे ही हमने ऑपरेशन शुरू किया, पाकिस्तान ने उसी समय बातचीत की पेशकश कर दी। यह दर्शाता है कि हमारे त्वरित और सटीक एक्शन से उनके मनोबल पर गहरा असर पड़ा,” उन्होंने कहा।
युद्ध नहीं, एक राजनीतिक संदेश
CDS ने ऑपरेशन सिंदूर को एक “रणनीतिक संकेत” बताया जो शत्रु को सैन्य ही नहीं, राजनीतिक स्तर पर भी सोचने पर मजबूर कर देता है।
“आज की लड़ाइयाँ केवल बम और गोली से नहीं लड़ी जातीं। वे संदेश देने के माध्यम भी होती हैं — ये संदेश सिर्फ दुश्मन को नहीं, दुनिया को दिए जाते हैं,” उन्होंने कहा।
भविष्य की युद्धकला की झलक
अपने भाषण में जनरल चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्ध बहुआयामी होंगे — जिसमें साइबर, अंतरिक्ष, आर्थिक प्रतिबंध, और डिजिटल नैरेटिव की भी अहम भूमिका होगी। हमें केवल सेना को नहीं, समाज को भी युद्ध के लिए मानसिक और तकनीकी रूप से तैयार करना होगा।
जनरल अनिल चौहान का यह बयान भारत की सैन्य क्षमताओं और रणनीतिक सोच का संकेत है। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि भारत की बदली हुई रणनीतिक मानसिकता का परिचायक है — जिसमें तीव्र एक्शन, राजनीतिक संदेश, और भविष्य की तैयारियों का स्पष्ट मेल है।