दिल्ली : राजधानी दिल्ली में दिन-ब-दिन बिगड़ती वायु गुणवत्ता और सड़कों पर दौड़ती पुरानी गाड़ियों को लेकर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सभी को मिलकर समाधान निकालना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा,
“हमारे शहर दमघोंटू होते जा रहे हैं। पुरानी और धुंआ छोड़ने वाली गाड़ियां, निर्माण कार्यों से उड़ती धूल और औद्योगिक प्रदूषण – ये सब मिलकर हवा को ज़हर बना रहे हैं। इससे बचने के लिए महज नियम बनाना काफी नहीं, उनके ईमानदारी से पालन की भी ज़रूरत है।”
जनता से की जिम्मेदारी निभाने की अपील
धनखड़ ने आम नागरिकों से भी अपील की कि वे प्रदूषण के मुद्दे को केवल सरकार की जिम्मेदारी मानकर न छोड़ें। उन्होंने कहा,
“अगर हम सब छोटे-छोटे कदम उठाएं — जैसे सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें, पुरानी गाड़ियों को समय पर स्क्रैप करें, प्लास्टिक जलाने से बचें — तो हम अपनी अगली पीढ़ी को सांस लेने लायक हवा दे पाएंगे।”
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक
गौरतलब है कि अक्टूबर से जनवरी के बीच दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है। सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार दोनों ही दिल्ली-एनसीआर में पुरानी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगाने के निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके, सड़कों पर भारी संख्या में ऐसी गाड़ियां अब भी दौड़ रही हैं।
राजनीतिक दलों पर निशाना
हालांकि उपराष्ट्रपति ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि
“हर साल जब दिल्ली की हवा खराब होती है, तो एक-दूसरे पर दोषारोपण शुरू हो जाता है। लेकिन जनता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिम्मेदार कौन है — उन्हें तो साफ हवा चाहिए।”
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जताई सहमति
पर्यावरण विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने उपराष्ट्रपति की टिप्पणी को सराहा है। उनका मानना है कि नीतिगत कड़ाई, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और नागरिक सहभागिता — ये तीनों मिलकर ही दिल्ली जैसे शहर को प्रदूषण से मुक्त कर सकते हैं।