नैनीताल. उत्तराखंड के गांवों की सबसे बड़ी समस्या पलायन है. जिसकी वजह अक्सर रोजगार ही होता है. लेकिन नैनीताल जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां रोजगार नहीं बल्कि भूस्खलन बन रहा है. पलायन की वजह जिले के धारी तहसील का काल गांव साल 1993 से भूस्खलन की चपेट में है, जिस वजह से कई ग्रामीणों ने यहां से पलायन किया है. गांव के लोग इस भूस्खलन को देखते हुए लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस गांव भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाए. जिससे यहां के लोग सुरक्षित रहें और पलायन को भी रोका जा सके.
भूस्खलन की जद में आने वाले गांवों में बारिश के दौरान डर के साये में जीना यहां के लोगों की नियति बन गई है. बता दें कि 18 सितंबर 1993 से नैनीताल जिले का काल गांव भूस्खलन की चपेट में आया था और अब लगातार बर्बादी की ओर सरक रहा है. पिछले साल 2021 में अक्टूबर महीने में आई आपदा में भी इस गांव में भारी नुक्सान हुआ था. गांव में लगभग 150 परिवार हैं जिनमें से 50 फिसदी परिवार भूस्खलन की जद में हैं. यह गांव यहां होने वाले फल, सब्जी के लिए जाना जाता है, लेकिन रास्ते टूटने से बाजार तक सामान का ढुलान मुश्किल हो जाता है.
यहां के ग्रामीण नारायण सिंह बिष्ट ने बताया कि 1993 में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके बाद से अक्सर भारी बारिश में काफी नुकसान हुआ. कई मकानों की दीवारें टूटी तो कईयों के चबूतरे. कई लोगों ने इस वजह से अपने घर को छोड़ दूसरी जगह रहने की व्यवस्था भी की है.
वहीं नैनीताल जिलाधिकारी धीराज गर्बयाल का कहना है कि जियोलॉजिस्ट और रेवेन्यू की टीम को गांव में भेजा जाएगा और वहां का निरिक्षण किया जाएगा.
